देवेन्द्र कुमार मिश्र
तुम सच बोल रहे हो
या किचड़ उछाल रहे हो
तुम्हें सच बोलना नहीं आता।
जो अपने विषय
में बोला जाए
दूसरे के बारे में बोलना
तुम्हारी व्यक्तिगत राय
राग द्वेष ज्यादा होता है
सच बोलना है
तो अपनी कहो
अपनी कमियां
अपने पाप अपने विचार कहो
अब तो धंधा हो गया
सच बताना
तुम न हुए
मीडिया हो गए।
झूठ का पर्दाफाश
प्रचार-प्रसार के साथ
और विज्ञापन भी बीच-बीच में
नीचे पट्टी चल ही
रही है एडवरटाइज की।
मामला निपटा नहीं
नतीजा मिला नहीं
इनको पहले ही
पता चल गया
सच क्या है।
ये न्यायधीश हो गए
भगवान हो गए
सच के रक्षक हो गए
सच के कितने फंदे हो गए
कितने प्रकार से धंधे हो गए
सच के हिमायती धंधा नहीं करते
सच को झूठ
झूठ को सच करने वाले
ये कहो कि सारा
चक्कर बिजनेस का है
टी.आर.पी. का है।
लेखक एक कवि है.
तुम सच बोल रहे हो
या किचड़ उछाल रहे हो
तुम्हें सच बोलना नहीं आता।
जो अपने विषय
में बोला जाए
दूसरे के बारे में बोलना
तुम्हारी व्यक्तिगत राय
राग द्वेष ज्यादा होता है
सच बोलना है
तो अपनी कहो
अपनी कमियां
अपने पाप अपने विचार कहो
अब तो धंधा हो गया
सच बताना
तुम न हुए
मीडिया हो गए।
झूठ का पर्दाफाश
प्रचार-प्रसार के साथ
और विज्ञापन भी बीच-बीच में
नीचे पट्टी चल ही
रही है एडवरटाइज की।
मामला निपटा नहीं
नतीजा मिला नहीं
इनको पहले ही
पता चल गया
सच क्या है।
ये न्यायधीश हो गए
भगवान हो गए
सच के रक्षक हो गए
सच के कितने फंदे हो गए
कितने प्रकार से धंधे हो गए
सच के हिमायती धंधा नहीं करते
सच को झूठ
झूठ को सच करने वाले
ये कहो कि सारा
चक्कर बिजनेस का है
टी.आर.पी. का है।
लेखक एक कवि है.
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