राहुल
उप संपादक
राज एक्सप्रेस, भोपाल
इसे क्या कहेंगे जब तथाकथित मामा अपने पांच साल की गौरव गाथा की बखान सुन और सुना रहे थे तो उसी समय शिव के तांडव से कई गुना अधिक तांडव होता है एक महिला पर। अलीराजपुर के नेहतड़ा की रहने वाली केलबाई को जाति पंचायत सजा देती है गांव निकाला। गुनाह भी क्या? सुनेंगे तो सजा सुनाने वालों पर आग बबूला ही होंगे। नही तो कम से कम आप के खून में उबाल तो आएगा ही और रुढ़िवादी सामाजिक व्यवस्था पर अपने आप पर शर्मसार महसूस करेंगे।
गरीबी से जूझते कुछ लोग काम की तलाश में शिव के राज से पलायन करते हैं गुजरात के लिए। नेतहड़ा के अनसिंह व उनकी पत्नी केलबाई भी पेट की आग को शांत करने के लिए रोटी की तलाश में गुजरात चले जाते हैं। गांव का एक भुरू सिंह भी जाता है काम की तलाश में। दबंग किस्म का भुरू सिंह अपने दबंगई के बल पर केलबाई का अपहरण कर लेता है और एक महीने तक गुजरात के अहमाद में एक मकान में कैद कर रखता है। केलबाई ज्योंहि भुरू सिंह के बाहुपास के जकड़न से अपने आप को ढिला महसूस करती है वहां से निकल भागती है। और सबसे पहले पहुंचती है अपने मां के पास जो दुख की घड़ी में सबसे पहले याद आती है। अपने मायके धार जिले से वह पहुंचती है अपने ससुराल अलीराजपुर जहां उसका अपना वजूद है। जैसे द्रोपदी का था अपने ससुराल में।
महाभारत में द्रोपदी अपने पतियों द्वारा ही जुए के दावं पर लगाई जाती है और दुःशासन भरे सभा में द्रोपदी का बाल पकड़ कर खिचता है। नेतहड़ा में केलबाई के साथ ऐसा तो नहीं पर इससे कम भी नहीं होत। द्रोपदी तो अपने पतियों की कारस्तानी की सजा भुगत रही थी तो केलबाई को उसके पति ने किसी जुए में नहीं हारा था बल्कि केलबाई का अपहरण कर लिया गया था और अपहरण होने की सजा मिली मार।
अपहरण से मुक्त होने के बाद जब केलबाई अपने घर पहुचती है तो उसे सहानुभूति के बदले मिलती है मार वो भी सुसर के द्वारा। पति अनसिंह केलबाइ को तो अपनाना चाहता था लेकिन अनसिंह के चाचा लालसिंह को यह तनिक भी बर्दाश्त नहीं होता और जाग उठता है मर्दवादी सोच। गांव के सरपंच मुकाम सिंह को साथ लेकर केलबाई को सजा देने के लिए तलवार भाजने लगते हैं।
सरपंच मुकाम सिंह द्वारा भिलाल समाज की पंचायत बुलाई जाती है जिसमें परमेश्वर रूपी पंच केलबाई को गांव निकाले की सजा सुनाते हैं। साथ ही साथ बाल मुड़वाकर सिर में लाल रंग लगा दिया जाता है। अनसिंह के चाचा लालसिंह केलबाई के चचिया ससुर केलबाई को भरी पंचायत में बेल्ट से लहुलूहान करते हैं और पंच परमेश्वर हर्षित होते हैं। इन पंचो के मुंह से विरोध का एक भी शब्द भी नहीं निकलता।
जिस तरह से खाप पंचायतो में पंच परमेश्वर फैसले सुनाकर कोड़े लगाने, गांव में आने पर हत्या कर देने का फरमान जारी किया जाता है उसी तरह का न्याय होता अलीराजपुर के नेतहड़ा में होता है। खाप पंचायतो में जहां मौत का फरमान जारी किया जाता है वहीं भिलाल जाति पंचायत में अपहरण की भुक्तभोगी महिला को पति के साथ गांव से निकल जाने का आदेश दिया जाता है। ऐसा न करने पर अनसिंह के परिवार वालों का जाति से हुक्का पानी बंद करने का फैसला किया जाता है। जबकि अपहरणकर्ता भुरू सिंह के बारे में पंचायत कोई भी सजा मुकर्रर नहीं करती है। जब सभी जानते हैं कि अपराधी भुरू सिंह है। खाप पंचायतो का सच यही है। वह पुरूष के खिलाफ बोलने से कापने लगती है। ऐसी पंचायते सीधे तौर पर केवल महिला की ही गलती मानते हैं। इस घटना के बारे में पंचायत कुछ इसी तरह से सोचती है। सजा के बारे में सुनकर लगता है कि अपहरण भुरू सिंह ने नहीं बल्कि केलबाई ने किया था। आज के न्याय का यही पैमान है।
केलबाई जब जाति पंचायत के इस फैसले के खिलाफ रोबिले प्रशासन के पास जाति है तो प्रशासन अपने पूरे रौब में दबिश देकर 16 लोगों को गिरफतार कर लेती है। लेकिन कुछ शातिर किस्म के पंच पुलिस को चकमा देकर आज भी फरार है।
केलबाई की लहूलुहान शरीर महिला आयोग के दफत्तर तक पहुंच चुकी है। अब देखना यह है कि केलबाई इस चोटपर मरहम लगाने वाला फैसला कब तक हो पाएगा।
जरा इनकी भी सुनें
गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता
"पीड़ित महिला के साथ अन्याय हुआ है। रिर्पोट के तुरंत पुलिस ने कार्यवाही करते हुए अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर ली है।"
प्रभारी मंत्री महेंद्र हार्डिया
‘‘महिला के साथ अत्याचार को सहन नहीं किया जाएगा। पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट लेकर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ’’
राज्य महिला आयोग
‘‘यह घटना अत्यंत निंदनीय है। कलेक्टर से रिपोर्ट मंगाई जा रही है। उसी के आधार पर कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।’’
यह सही है कि दुनिया महिलाओं पर हे कहर ढाती है गलती चाहे जिसकी हो। आलीराजपुर की घटना सोचने को मजबूर करती है कि यह सब उस राज्य में हो रहा है जहाँ लाडली लक्ष्मी जैसी योजनायें चल रही है। सरकार के दावे महज दावे ही रह गये है। पांच साल पूरा करने पर सरकार ने जो जश्न मनाया और प्रदेश में जो कुछ हो रहा है उसमें एकरूपता नजर ही नहीं आती है। सरकार अपना बडप्पन लोगों के सामने गा रही है और लोग परेशान है इससे प्रदेश का कोई भला होने वाला तो नहीं ही लगता है।
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